Sunday, June 24, 2012

बारिश और बिरजू




बिरजू रिक्शा चलाता है 
इस बारिश के मौसम में भी
जैसी मनमानी बारिश 
वैसा मनमाना बिरजू
दोनों ही किसी की परवाह नहीं करते
बारिश के आने के बाद
इन झुग्गियों में सडाध भर जाती है
और सडाध  तो  कमरे में भी भर जाती है 
बिरजू के आने के बाद 
बारिश आने पर सब सिमट जाते है 
पर कुछ बच्चे बाहर निकल जाते है 
वैसे ही 
बिरजू के आने पर
उसकी बीवी सिमट जाती है
और बच्चे बाहर निकल जाते है 
बारिश के जाने तक 
पुराने टीन टप्पर बह जातें है  
और बस झुग्गी वाले ही रह जाते है 
वैसे ही 
बिरजू के घर में
सारे रिश्ते नाते बह जाते है 
बस अभागी के जिस्म पर जख्म रह जाते है 

3 comments:

  1. कविता अच्छी है दोस्त ! थोड़ा हिन्दी के व्याकरण पर भी ध्यान दे दो तो बात बन जायेगी.

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  2. कमेन्ट बोर्ड से वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा दो ! यहा क्या होता है यह जानने के किये एक बार अपने किसी कविता पर कमेन्ट करो , पता चल जायेगा!

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  3. This comment has been removed by the author.

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