जो तुम आयी हो
तो संग ये तितलियाँ क्यों लायी हो
अब ये चाह्केंगी
मेरे पूरे कमरे में
सतरंगी परों संग महकेंगी
देखो ये जो अँधेरे है
बंद अलमारियों
और दराजों में
तुम्हारी ये तितलियाँ उनसे भी उल्झेंगी
पर तुम्हे क्या
तुम तो खुशियों की परछाई हो
उजालों की अंगडाई हो
तकिये के पास जो पड़ी है मेरी एश ट्रे
तुम भी तो वहां तक पसर आई हो
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