बिरजू रिक्शा चलाता है
इस बारिश के मौसम में भी
जैसी मनमानी बारिश
वैसा मनमाना बिरजू
दोनों ही किसी की परवाह नहीं करते
बारिश के आने के बाद
इन झुग्गियों में सडाध भर जाती है
और ![]()
सडाध तो कमरे में भी भर जाती है
बिरजू के आने के बाद
बारिश आने पर सब सिमट जाते है
पर कुछ बच्चे बाहर निकल जाते है
वैसे ही
बिरजू के आने पर
उसकी बीवी सिमट जाती है
और बच्चे बाहर निकल जाते है
बारिश के जाने तक
पुराने टीन टप्पर बह जातें है
और बस झुग्गी वाले ही रह जाते है
वैसे ही
बिरजू के घर में
सारे रिश्ते नाते बह जाते है
बस अभागी के जिस्म पर जख्म रह जाते है
कविता अच्छी है दोस्त ! थोड़ा हिन्दी के व्याकरण पर भी ध्यान दे दो तो बात बन जायेगी.
ReplyDeleteकमेन्ट बोर्ड से वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा दो ! यहा क्या होता है यह जानने के किये एक बार अपने किसी कविता पर कमेन्ट करो , पता चल जायेगा!
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDelete