हम इंटलेक्चुअल गवार
ज्यादा नहीं जानते
जानते थे बस एक बात
साफ़ साफ़
कि प्यार था तुमसे
अच्छी लगती थी
पता नहीं क्यों
कोई वजह नहीं थी
बे बात के
जैसा बोली
वैसा करते चले गए
आँख मूँद के
तुम जानती हो सच बोल रहे है
फिर भी तुम चली गयी
अब , तुम्हारी जगह भर गयी है
जगह ले ली है तुम्हारी
किताबों शराबों और दोस्तों ने
कोई शिकायत नहीं
जरा भी नहीं
जगह तो तुम्हारी ले ही ली है
किताबों शराबों और दोस्तों ने
उम्मीद है तुम भी खुश होगी
अच्छा खुश ही रहना
क्योंकि हम खुश है
बहुत खुश
बहुत बहुत बहुत खुश
ऐसा नहीं कि याद नहीं आती
पर अब वो कोई ख़ास नहीं
सब कुछ तुम ही नहीं थी
ये अब जाने है हम
हम इंटलेक्चुअल गवार
ज्यादा नहीं जानते
जानते थे बस एक बात
साफ़ साफ़
कि प्यार था तुमसे
अच्छी लगती थी
पता नहीं क्यों
कोई वजह नहीं थी
बे बात के
जैसा बोली
वैसा करते चले गए
आँख मूँद के
तुम जानती हो सच बोल रहे है
फिर भी तुम चली गयी
अब , तुम्हारी जगह भर गयी है
जगह ले ली है तुम्हारी
किताबों शराबों और दोस्तों ने
कोई शिकायत नहीं
जरा भी नहीं
जगह तो तुम्हारी ले ही ली है
किताबों शराबों और दोस्तों ने
उम्मीद है तुम भी खुश होगी
अच्छा खुश ही रहना
क्योंकि हम खुश है
बहुत खुश
बहुत बहुत बहुत खुश
ऐसा नहीं कि याद नहीं आती
पर अब वो कोई ख़ास नहीं
सब कुछ तुम ही नहीं थी
ये अब जाने है हम
हम इंटलेक्चुअल गवार
No comments:
Post a Comment