Friday, December 7, 2012

सपनो के ढेर

मन में सपनो के ढेर हैं ,
कुछ संजोये ,
कुछ थोपे हुए ,
कुछ यहाँ से ,
कुछ वहां से चुने हुए ,
बनते बिगड़ते ,
सजते सवरते,
रास रचते ,
खुद में मगन रहते ,
नित नया स्वांग करते ,
बिना किसी विषाद के ,
बिना किसी प्रतिसाद के ,
स्वयं ही स्वयं को पूर्ण करते ,
और मैं मूक दर्शक बना ,
बस देखता रहता ...!

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