Friday, October 12, 2012

डू नाट डिसटर्ब


मेरे ख्वाबगाह में 
तुम मत आना 
तुम्हारे आने से 
चीजें हिल जाती है 
मन करता है 
जमी धूल को  "फू" करके उड़ा दूँ 
मेरे ख्वाब गाह में 
जहाँ तितलियाँ  लगी है 
मकड़ियों के जालों  में 
ऐसी जगह जहाँ सब कुंद है 
मंद है 
वहां तुम मत आना 
तुम्हारे आते ही 
सब ठीक होने लगता है
मेरे ख्वाबगाह में ....

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