Tuesday, October 2, 2012

तुम्हारी दी हुई टाई

यहाँ विचारों की उत्तेजना के अलावा 
कुछ भी नहीं है
क्योंकि बाकी सारी चीजें पैसों से मिलती है 
तुम यही चाहते थे ना
मैं  टाई पहन लूँ 
और सभ्य बन जाऊं 
हमारी -  तुम्हारी 
औरतों का भेद मिट जाए 
नहीं ये कहना गलत होगा 
सेक्स तो तब से है 
जब इंसान जानवर था 
और तब तक रहेगा 
जब इंसान फिर से जानवर हो जाएगा 
फिर और बचा ही क्या है 
तुम्हारी दी हुई टाई 
तो पहन ही ली है मैंने 
वही टाई 
जो शायद हमने 
सिन्धु हडप्पा के दौरान ही
अपने बैलों घोड़ों को पहनाई थी 
शयद उन्हें सभ्य बनाने की
हमारी  वो पहली कोशिश होगी 
खैर छोड़ो 
अब बोलो बचा ही क्या है 
तुम्हारी दी हुई टाई तो पहन ही ली है मैंने 

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