कहीं पे बैठा था,
चाय , थोड़े ब्रेड के पकौड़े
और आधी जली सिगरेट के साथ
बगल में पड़ी थी
कुछ डिग्रियां
और एक इम्प्लायमेंट न्यूज़ पेपर
दाढ़ी भी थोड़ी बढ़ी थी
जेब में थोड़े खुल्ले पैसे भी पड़े थे
और हाँ
एक पुराना मोबाइल भी तो था
जो माडल अब बंद हो गया हैं
आज एक इंटरविव था
इस नव युग के अभिमन्यु के लिए
एक नव चक्रविव था
की ना जाने कहा से बारिश आ गयी
अब हम और भी बेबस थे
खुद को और ज्यादा समेटे हुए
वहीँ बैठे रहे
और निहारते रहे
बारिश को देर शाम तक अपलक
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