Sunday, October 29, 2023


#देश

 देश ने कभी अपने कुटुंब की कल्पना,

वसुधा भर की मानवता से की थी,

अब देश के लोगों की महत्ता,

बस मतगणना तक है,

देश का राजकाज,

कभी खड़ाऊँ से चलता था,

अब देश का,

पंचायती राज भी,

भड़काऊ भाषण से चलता है .

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