WRITER BABU
Sunday, February 24, 2013
सन्डे का ज्ञान
मैंने महकी है गावं की मिटटी
और फाँकी है दिल्ली की धूल भी
आध्यात्म से आइफोन तक
सब देखा है
तो मैं जानता हूँ ये बस नश्वर है
दुर्गम नहीं
1 comment:
अभिषेक आर्जव
June 18, 2013 at 9:52 AM
बाह गुरु ! चपल रहा !
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बाह गुरु ! चपल रहा !
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