तुम अब एक पुराने घाव के दाग जैसी हो गयी हो
जिसके होने या ना होने से कोई फर्क नहीं
जिसकी कभी कभी याद आती है
वो भी किसी के पूछ लेने पर
पर हम अब भी थोड़े ठहर जाते है
वो मंजर आँखों से गुजर जाते है
भले ही ये सब सुनके
औरो के आशु ढरक जाते है
पर हम तुम्हारे बारे सबको बताते है
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