Monday, August 23, 2021

नयी बात

राजनीति का पतन कब का हो चुका था, पर समझ में अब आ रहा है, नगद और जमा करने वाले लोग आँख में मूँद कर बैठ गए है। और गरीब  करोना और भगवान को कोस रहे है,  जिन चीजों पर धन्यवाद लिया जा सकता है, लिया जा रहा है, जैसे मुफ़्त की वैक्सीन, या फिर मुफ़्त का कुछ भी, सैंतालिस की विभीषिका अक्षरशः  याद है, और दो महीने पहले की विभीषिका अभी प्री मेच्योर है, तो बात करने के लायक़ भी नहीं है । मेरे जीवन से सम्बंधित एक साँस लेता हुआ शरीर मुझसे पूछता  है, (क्या करोगे ज़ेंडर जान कर?) आप के कितने मुस्लिम दोस्त है, पहले मैं चुप रहा फिर मैंने चार - पाँच नाम गिना दिए, आगे की समरस व्याख्या सबको पता है ऐसी बातों के उपसंहार में क्या बोलना होता है। गाड़ी कहाँ जा रही है, अगर सवारी गलती से बैठ गयी है, तो ड्राइवर को तो पता ही होना चाहिए। ड्राइवर बोलता है, साठ साल से इंजन ख़राब है, मैं क्या करूँ, अबे तूने नौकरी ही इसी बात की ली थी की सही से चलाएगा। कभी कभी सोचता हूँ, हो सकता हो कही किसी और गोले से कोई हमें देख रहा हो, और अपनी समस्याओं का ठीकरा धरती के रेफरेंस में दे रहा हो, की इतना ही दिक़्क़त धरती पर चले जाओ, देखो वहाँ कहीं - कहीं तेल सस्ता है, पर जीवन जीना कितना मुश्किल है। जहां तक मैं समझ पाया हूँ, धर्म किसी समय में विज्ञान और व्यवहार की उच्चतम स्थिति रहे होंगे और  तर्क हीन लोगों ने उसे जड़ कर दिया।और यही जड़ता हर फ़साद की जड़ है। 

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