Sunday, March 15, 2015

मैं एक पंक्ति लूंगा कही और से

मैं एक पंक्ति लूंगा 
कही और से
सोणी मैं तैनू ,
चाँद की चूड़ी पहरावां "
उसके बाद सारा विजुलाइज़ेसन मेरा
गन्दा कमरा
बिखरी किताबे
यहाँ वहा पड़े
कांच के सोबर ग्लास
बिना खोल की तकिया
और कूलर के झाले
और कुछ पुराने गिफ्ट्स
( जिनकी तरफ देखने की हिम्मत भी नही जुटा पाता )
तुम ही बोलो
फ़िल्मी गानों से कुछ हो सकता है क्या
नही न ,
फिर तुम कहती हो तो
मैं तैनू चाँद की चूड़ी पहनावा !!!

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