Sunday, March 15, 2015

यकीन मानो शरमा के चली जाओगी तुम पहली बार की तरह !!!!

अच्छा 
फर्ज करो
तुम साठ की हो चुकी होगी
और मैं थोड़ा ज्यादा
चलो ये भी हो सकता है
तुम अपने प्रेमी के साथ
घर बार बसा चुकी होगी
और अब कोई चाह नहीं होगी तुममे
फर्ज करो
किसी दिन मैं मिल जाऊं
तुम्हे कही रास्ते में
और ताकने लागूं तुम्हे
टुकुर टुकुर
यकीन मानो शरमा के चली जाओगी तुम
पहली बार की तरह !!!!

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