नारियाँ,
पूजी जाती थी,
देवता रहा करते थे.
नारियाँ,
प्रताड़ित हो रही है,
देवता, देश में न जाने कहाँ रह रहें हैं .
नारियाँ,
पूजी जाती थी,
देवता रहा करते थे.
नारियाँ,
प्रताड़ित हो रही है,
देवता, देश में न जाने कहाँ रह रहें हैं .
देश लिखता था,
शिलाओं - भोजपत्रों पर,
धर्म,
साहित्य,
विज्ञान,
नृत्य,
योग और तर्क,
देश अब लिखता है वाट्सऐप पर,
और करता है कुतर्क .
देश कभी ऋषियों का था,
फिर राम का,
बुद्ध का भी हुआ,
इसी क्रम में
रिसते – घिसते
ये देश गांधी का भी हुआ,
और अंत में ये हुआ,
गद्दी पर बैठे बाबुओं का,
जिनके पास,
ऋषि,
राम,
बुद्ध,
गांधी,
सबकी फ़ाइलें पड़ी है।
बहुत से लोग,
कुछ लोगों की वजह से,
अपनी चार ठठरी,
और एक गठरी के साथ,
देश से पलायन किए,
खोजते हुए अपना देश ।
अब देश उन्हें धमकाता है,
आंख दिखाता है,
याद दिलाता है,
कि इस देश में रहना है,
तो फ़लाँ फ़लाँ कहना है,
नहीं तो भेज देंगे तुम्हें,
तुम्हारे अपने देश।
#देश,
जहाँ लोग साथ रहते हो,
और जहाँ सरकारें भी रहती हो,
पर जहाँ सरकारें रहती है,
वहाँ लोग साथ नहीं रह पाते,
सरकारें, लोगों को साथ नहीं रहने देती,
सरकार की लाख कोशिश के बाद,
जो लोग साथ रह भी जाते हैं,
सरकार उनके बीच साथ रहने का एहसास नहीं रहने देती।